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रिचार्ज वेल से बढ़ रहा भूजल स्तर, चूरू हो रहा वर्षा जल संरक्षण की दिशा में अग्रणी

 



जिला प्रशासन की अभिनव पहल, पानी भराव से निपटने के लिए बनाए रिचार्ज स्ट्रक्चर, भूजल स्तर बढ़ाने में साबित हो रहे वरदान

चूरू (मनीष कुमार, सहायक जनसम्पर्क अधिकारी) । प्रदेश सरकार ने 'वंदे गंगा— जल संरक्षण जन अभियान' चलाकर जल संरक्षण को जन आंदोलन बनाने की दिशा में अ​भूतपूर्व निर्णय लिया। यह निर्णय प्रदेश को जल संरक्षण की दिशा में अग्रणी बनाने के ​लिए अत्यंत उपयोगी साबित हुआ। आवश्यकताएं किस प्रकार अवसर बन सकती है, इसका प्रत्यक्ष उदाहरण चूरू में बने रिचार्ज स्ट्रक्चर से देखा जा सकता है।  प्रदेश सरकार की जल संरक्षण की प्रेरणा को आगे बढ़ाते हुए चूरू जिला प्रशासन ने वर्षा जल संरक्षण व भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए चूरू में रिचार्ज स्ट्रक्चर बनाकर अभिनव पहल की है। 



जिले की भौगोलिक​ परिस्थितियों से बनी आवश्यकता

राजस्थान के शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में जल संकट एक बड़ी चुनौती रही है। विशेष रूप से चूरू जैसे जिले, जहां वर्षा की मात्रा सीमित होती है, वहां वर्षा जल का संरक्षण अत्यंत आवश्यक हो गया है। इसी के साथ चूरू की भौगोलिक संरचना कटोरेनुमा होने के कारण यहां पानी भराव की भी समस्या अक्सर बनी रहती थी। ​यह परिस्थितियां आवश्यकता में अवसर बनकर आई। जिला कलक्टर ने भौगोलिक परिस्थतियों के समुचित अध्ययन के बाद चूरू में वर्षा जल भराव वाले क्षेत्रों में रिचार्ज वेल बनवाए, जिनसे फलदायक परिणाम मानसून के दौरान देखने को मिल रहे हैं। 


रिचार्ज वैल क्या है

रिचार्ज वैल एक प्रकार का कुआं है जिसका निर्माण लॉ लाइन एरिया में बरसाती पानी की अत्यधिक आवक वाले स्थान पर किया जाता है। गहरे कुओं जैसी संरचना वाले इन रिचार्ज वेल को इस प्रकार डिज़ाइन किया जाता है कि इनमें वर्षा जल एकत्र होकर सीधे धरती की परतों में पहुंच सके। इससे न केवल जलभराव की समस्या से निजात मिलती है, बल्कि भूजल स्तर को भी सुधारने में मदद मिलती है।


रिचार्ज वैल कैसे काम करता है

रिचार्ज वैल का निर्माण करते समय वैल के आस-पास कम से कम 02 चैम्बर का निर्माण पानी के शु​द्धिकरण के लिए किया जाता है। शुद्धिकरण हेतु बनाये गये चैम्बरो में अलग-अलग माप की जालिया एवं ड्राई स्टोन पिचिंग का उपयोग किया जाता है, ताकि पानी के साथ कचरा पेड़ों की प​त्तियों, डिस्पोजल, थैली व अन्य प्रकार का कचरा वर्षा जल के साथ जाकर भूमिगत जल को दूषित नहीं कर सके।


चूरू शहर में बनाए 07 रिचार्ज वेल बढ़ा रहे भूजल स्तर

चूरू शहर में रविन्द्र हॉस्पीटल के पास मुख्य सड़क पर, पंडित दीनदयाल उपाध्याय मेडिकल कॉलेज के आगे, वार्ड नम्बर 20 में एडीआर सेंटर के पास, बाबोसा मन्दिर के पास, सैनिक बस्ती, सर्किट हाउस के सामने तथा राजकीय डेडराज भरतीया जनरल अस्पताल के पास आदि कुल 07 रिचार्ज वेल निर्मित किये गये है। सर्किट हाउस के सामने तथा राजकीय डेडराज भरतीया जनरल अस्पताल के पास बनाए गए रिचार्ज वेल यथाशीघ्र सुचारू करने पर काम किया जा रहा है। शेष 05 रिचार्ज वेल के सुचारू संचालन होने से न केवल वर्षा जल के त्वरित निस्तारण में मदद मिली है बल्कि भू-जल स्तर में भी सुधार हो रहा है। 


शुद्ध जल व दोहरे लाभ

इन रिचार्ज वेल को भूगर्भ वैज्ञानिकों की सलाह से डिज़ाइन किया गया है ताकि जल शुद्ध रूप में नीचे तक पहुंचे। हर वेल में फिल्ट्रेशन सिस्टम के रूप में ग्रेवल, रेत और चारकोल की परतें लगी होती हैं, जो जल को शुद्ध करके मिट्टी में पहुंचाती हैं। वर्षा जल को विशेष पाइपों द्वारा रिचार्ज वेल में डालकर धरती की निचली जलधाराओं तक पहुंचाया जाता है। इन संरचनाओं की लागत अपेक्षाकृत कम है लेकिन इसके लाभ दीर्घकालिक हैं। 



परिणाम और प्रभाव

इन संरचनाओं के माध्यम से चूरू नगरपरिषद मुख्यालय पर बरसात के दौरान पानी भराव में कमी देखने को मिली है। इसी ​इन कुओं के सुचारू कार्य करने से सामान्य स्थितियों में 04 से 05 दिन भरे रहने वाला पानी मात्र 04 से 05 घंटे में ही निकास हो पाया और मानसून के दौरान सड़कों पर जलभराव की समस्या में कमी आई है। चूरू शहर में अब तक हुई दो बरसातों में रिचार्ज वेल में रविन्द्र हॉस्पिटल के पास मुख्य सड़क पर 2.5 मीलियन लीटर, मेडिकल कॉलेज के आगे 1.2 मीलियन लीटर, वार्ड नंबर 20 में एडीआर सेंटर के पास1.25 मीलियन लीटर, बाबोसा मन्दिर के पास 0.45 मीलियन लीटर, सैनिक बस्ती में 0.90 मीलियन लीटर पानी का निस्तारण होकर भू - गर्भ में गया है।  इसी के साथ पहले पानी भराव से निपटने के लिए पंप लगाने की आवश्यकता पड़ती थी, जिसकी अब जरूरत नहीं होने से खर्च भी कम हुआ है। बारिश का अधिकांश पानी सतह से बहकर नालियों और सीवर में चला जाता है, जो पूरी तरह बर्बादी है। जल संकट का सबसे प्रभावी समाधान वर्षा जल को संरक्षित कर भूगर्भ में भेजना है। सीमित संसाधनों के बावजूद वर्षा जल का उपयोग कर भूजल को रिचार्ज करने की यह योजना न केवल वर्तमान बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी लाभदायक सिद्ध होगी।

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