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प्राकृतिक एवं आयुर्वेदिक चिकित्सा का उत्कृष्ट केंद्र है राजकीय एकीकृत आयुष चिकित्सालय

 

 


चूरू जिला मुख्यालय पर राजकीय एकीकृत आयुष चिकित्सालय में आमजन को मिल रहा बेहतरीन चिकित्सा सुविधाओं का लाभ, इलेक्ट्रिक मसाजर सहित अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है अस्पताल, रोज होती है 200 से अधिक की ओपीडी, पंचकर्म से भी करते हैं ​इलाज

चूरू। प्रदेश सरकार की प्राकृतिक व आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देने की समृद्ध सोच को चूरू जिला मुख्यालय पर चल रहा राजकीय एकीकृत आयुष चिकित्सालय और अधिक सुदृढ़ कर रहा है। यह अस्पताल प्राकृतिक एवं आयुर्वेदिक चिकित्सा का उत्कृष्ट केन्द्र है। अस्पताल में परंपरागत चिकित्सा पद्धति के साथ आधुनिक तकनीक का समन्वय किया जा रहा है। अस्पताल जिले के स्वास्थ्य ढांचे में एक मजबूत स्तंभ बन चुका है, जहां रोगी न केवल उपचार पाते हैं, बल्कि प्राकृतिक जीवनशैली की ओर अग्रसर भी होते हैं।


अस्पताल में पंचकर्म, शिरोधारा, वमन, बस्ती, स्वेदन और नस्यम जैसी परंपरागत आयुर्वेदिक विधियों के साथ-साथ आधुनिक उपकरणों का भी समुचित उपयोग किया जा रहा है। यहां आने वाले रोगियों को जड़ी-बूटियों पर आधारित उपचार उपलब्ध कराया जाता है, जिससे कई पुरानी बीमारियों में आश्चर्यजनक लाभ देखने को मिला है।


पीएमओ डॉ राधेश्याम ने बताया कि हमारा उद्देश्य है कि चूरू जिले के नागरिकों को आयुर्वेदिक चिकित्सा की सर्वोत्तम सेवाएं मिले। हम आधुनिक उपकरणों और परंपरागत चिकित्सा का संतुलन बनाकर संपूर्ण स्वास्थ्य प्रदान करने का प्रयास कर रहे हैं।


अनुभवी चिकित्सक देते हैं परामर्श, रोज होती है 200 से अधिक ओपीडी, निःशुल्क औषधियां 


अस्पताल में नियमित तौर पर अनुभवी चिकित्सा अधिकारियों द्वारा आमजन को चिकित्सकीय परामर्श दिया जाता है। इन चिकित्सकों में डॉ राधेश्याम, डॉ ओमप्रकाश चोयल, डॉ संजय तंवर, डॉ रामकृष्ण शर्मा सहित 04 आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी, डॉ सुनील गुर्जर व डॉ मिथिलेश सहित 02 हौम्योपैथी चिकित्सा अधिकारी व यूनानी चिकित्सा अधिकारी डॉ मलिक नियमित रूप से अपनी सेवाएं देते हैं। इसी के साथ 10 आयुर्वेदिक कंपाउडर तथा 01— 01 यूनानी व हौम्योपै​थी कंपाउडर भी नियुक्त हैं। अस्पताल में औसतन प्रतिदिन 200 से अधिक ओपीडी पंजीकृत होती हैं, जिनमें गुणवत्तापूर्ण सेवाओं के साथ नि:शुल्क दवाएं भी दी जाती है। अस्पताल में आने वाले रोगियों को त्रिफला चूर्ण, अश्वगंधा, च्यवनप्राश, दशमूल क्वाथ, नारायण तेल आदि कुल 121 प्रकार की दवाइयां नि:शुल्क उपलब्ध करवाई जा रही हैं। 


वृद्धावस्था व महिलाओं हेतु विशेष केन्द्र


अस्पताल में पंचकर्म, जरावस्था व आंचल प्रसूता तीन केन्द्र संचालित है। पंचकर्म केन्द्र में पंचकर्म विधि से इलाज किया जाता है। महिलाओं व पुरूषों के लिए अलग—अलग वार्डों की व्यवस्था की गई है। इसी ​के साथ जरावस्था केन्द्र में वृद्धजनों के लिए सुविधाएं उपलब्ध हैं। आंचल प्रसूता में गर्भवती व प्रसूता महिलाओं को पोषा​हार आदि का वितरण किया जाता है। 

 

इलेक्ट्रिक मसाजर चेयर व अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस


अस्पताल में आमजन के सम्पूर्ण शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अत्याधुनिक इलेक्ट्रिक मसाजर चेयर उपलब्ध है, जिसका आमजन नियमित रूप से ओपीडी समय में चिकित्सकीय पर्यवेक्षण में लाभ उठा सकते हैं। 

अस्पताल में शिरोधारा यंत्र (सिर पर नियमित और संतुलित रूप से तेल डालने हेतु), स्वेदन बॉक्स (शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने हेतु), नस्य यंत्र (नाक के माध्यम से औषधि देने हेतु), बस्ती यंत्र (आयुर्वेदिक एनीमा थेरेपी के लिए), चूर्ण पिसाई और क्वाथ पकाने की मशीनें, स्टरलाइज़ेशन यूनिट (सभी उपकरणों को स्वच्छ रखने के लिए), वज़न मापने की डिजिटल मशीन, बीपी मशीन और पल्स ऑक्सीमीटर आदि अत्याधुनिक मशीनरी उपलब्ध है। 

इसी के साथ एक्ससाइज हेतु साइकिल, शोल्डर पैडल मशीन, फुट पैडल मशीन भी आमजन के उपयोगार्थ उपलब्ध हैं। 


पंचकर्म से भी करते हैं इलाज

 

पंचकर्म यूनिट प्रभारी डॉ ओमप्रकाश चोयल ने बताया कि अस्पताल में पूरी तरह सुसज्जित पंचकर्म यूनिट है, जिसमें योग्य एवं अनुभवी चिकित्सकों द्वारा उपचार किया जाता है। यहां पुरुष एवं महिला रोगियों के लिए अलग-अलग उपचार कक्ष बनाए गए हैं। पंचकर्म चिकित्सा यूनिट में वमन कर्म, विरेचन कर्म, बस्ती कर्म, नस्यम, रक्तमोक्षण, शिरोधारा, अभ्यंग (तेल मालिश), स्वेदन (स्टीम बाथ) आदि सुविधाएं अत्याधुनिक रूप से उपलब्ध हैं। इसी के साथ आयुर्वेदिक औषधालय से नि:शुल्क औषधि वितरण भी किया जाता है। 

अस्पताल में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग और राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर नई तकनीकों और औषधियों से लैस किया जा रहा है, जिससे इसकी सेवाएं लगातार बेहतर होती जा रही हैं।

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