झुंझा जाट ( झुंझार सिंह नेहरा ) एक काल्पनिक चरित्र
झुंझुनू(चंद्रकांत बंका)सहभागी राजपूत परिवार ने अपने संस्थापक अध्यक्ष इंजीनियर महावीर सिंह शेखावत झाझड़ के नेतृत्व में झुंझुंनू कलेक्टर, एस पी , ए ड़ी एम , नगर परिषद आयुक्त को झुंझा जाट एक काल्पनिक चरित्र के बारे में ज्ञापन दिया । काल्पनिक चरित्र का निर्माण करने वाले अभी तक उसका जन्म तक ठीक से तय नही कर पा रहे हैं । उसमें सदियों का फर्क बता रहे हैं । झुंझा जाट का नाम झुंझार सिंह नेहरा लिखा जा रहा है। मगर जाट जाति में उस समय तक कभी सिंह शब्द का प्रयोग सम्पूर्ण राजस्थान में कहीं नही था । अठाहरवी शातब्दी में जाटों की धोलपुर और भरतपुर रियासत अवश्य हुई है परन्तु वो अपने आपको राजस्थान के अन्य जाटों से बहुत अलग मानते थे और आज भी मानते हैं । बल्कि कुछ दिन पहले भरतपुर के वर्तमान समय के राजकुमार ने स्वयं को भगवान कृष्ण का वंशज बताते हुए यदुवंशी राजपूत बताया था । उन्होंने जाट महासभा के एतराज पर कहा था कि वो उनकी वंशावली नही बता सकते । इसका ज्ञान उनको अधिक है । यह सब प्रमुख अखबारों में छपा था । राजस्थान के जाटों मे अठाहरवी सदी तक कही भी सिंह शब्द नाम के आगे लिखने का उल्लेख नही है । भरतपुर के अठाहरवी सदी के राजा सुरजमल भी अपने नाम में कभी सिंह नही लगाते थे । यह जाट समाज में कोई परिपाटी ही नही थी । इससे भी साबित होता है कि झुंझा जाट एवं झुंझार सिंह एक कलपना मात्र है । इंजीनियर साहब के साथ सज्जाद खां जाबासर, हनुमान सिंह भगेरा, मुराद खां कीढ़वाणा, मनवर खां खुड़ाणा, महेन्द्र सिंह बिरमी, सबीर खां भगासरा,भागीरथ सिंह दिनवा लाड़खानी, अजीज खां चेलासी, योगेन्द्र सिंह जाखल, जितेन्द्र सिंह दौलतपुरा, नरेन्द्र सिंह बलौदा, हुक्मपुरा से अब्दुल खां , इरफान खां , इन्तजार खां , अख्तर खां हासलसर मौजूद रहे ।
मुख्य मांगें :-
(1) नगर परिषद झुंझुंनू का 25 अप्रैल का आदेश जिसमें झुंझा जाट के नाम से एक सर्किल का नामकरण किया गया है उसको तुरन्त निरस्त किया जाए । क्यूंकि वो एक काल्पनिक चरित्र है । अभी तक जिन्होंने उसकी कल्पना करी है वो उस चरित्र का जन्म कभी छठी , कभी पन्द्रहवी तो कभी अठाहरवी सदी का बताते हैं । एक काल्पनिक चरित्र को झुंझुंनू का संस्थापक बताने से राजस्थान के गौरवमयी इतिहास का अपमान हो रहा है । राजस्थान में जनता राजा को भगवान का अंश मानती थी इसलिए यह समस्त जनता की भावना को ठेस पहुँचा रही है ।
(2) फरवरी , 2009 में काल्पनिक चरित्र झुंझा जाट की मूर्ति कलेक्टर के निवास के सामने एक सार्वजनिक पार्क में लगाकर और उसको झुंझुंनू का संस्थापक बताया गया था । उस मूर्ति और संस्थापक की पट्टी को भी तुरन्त ढ़क दिया जाए । माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के बाद उस मूर्ति को ससम्मान वहां से हटा दिया जाए ।
(3) झुंझुंनू के शासको जिसमें तकरीबन 1000 वर्ष पूर्व तक अलग -2 कालखंड में चौहान वंश और उसकी विभिन्न शाखाओं , कायमखानी चौहान राजपूत ( मुस्लिम) , शेखावत राजपूतों का राज रहा है । उन सभी के स्मारक उस पार्क में बनवाए जाए । जिससे हमारे युवाओं को वास्तविक इतिहास का ज्ञान हो ।
(4) जो नकली इतिहासकार अपनी लेखनी से इतिहास को बिगाड़ने का कार्य करते हैं उनको कानूनी रूप से कठोर से कठोर दण्ड़ दिया जाए ।
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