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चूरू के OPJS विश्वविद्यालय के समस्त पाठ्यक्रमों में नवीन प्रवेश पर रोक, SOG की जांच रिपोर्ट में गंभीर अनियमितता।

 


जयपुर, । प्रदेश सरकार भर्ती प्रक्रियाओं को पूर्णतः पारदर्शी, निष्पक्ष एवं त्वरित बनाने के लिए निरंतर सुधारात्मक कदम उठा रही है। मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा के निर्देशानुसार भर्ती प्रक्रियाओं से सम्बंधित किसी भी प्रकार की अनियमितता पर दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जा रही है। बीते दिनों राजस्थान लोक सेवा आयोग एवं राज्य कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा आयोजित विभिन्न भर्ती परीक्षाओं में सम्मिलित हुए अभ्यर्थियों के दस्तावेजों की जाँच व सत्यापन के दौरान चूरू के ओपीजेएस विश्वविद्यालय की अनेक डिग्रियां फर्जी होने के तथ्य संज्ञान में आये। इस संबंध में राज्य सरकार द्वारा गठित समिति की जाँच रिपोर्ट के बाद ओपीजेएस विश्वविद्यालय के समस्त पाठ्यक्रमों में नवीन प्रवेश पर रोक लगाई गई है। 


उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री कुलदीप रांका ने बताया कि एसओजी ने ओपीजेएस विश्वविद्यालय द्वारा बिना अध्यापन के ही कूट रचित तरीके से डिग्रियां जारी करने के प्रकरणों की जाँच रिपोर्ट विभाग को प्रस्तुत की थी। इसकी गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन संभागीय आयुक्त सीकर के नेतृत्व में जाँच समिति गठित की गयी थी। जाँच रिपोर्ट में विश्वविद्यालय द्वारा ओपीजेएस विश्वविद्यालय चूरू अधिनियम, 2013 के विभिन्न प्रावधानों का स्पष्ट उल्लंघन पाया गया। 


उन्होंने बताया कि ओपीजेएस विश्वविद्यालय में प्रवेश प्रक्रिया, परीक्षा एवं परीक्षा परिणामों में गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं। यहाँ कोई भी नियमित पाठ्यक्रम नियमानुसार संचालित नहीं है। श्री रांका ने बताया कि जाँच समिति ने ओपीजेएस विश्वविद्यालय के समस्त पाठ्क्रमों में प्रवेश पर तत्काल रोक लगाने की अनुशंसा की थी। इसके बाद विभाग द्वारा विश्वविद्यालय को जाँच रिपोर्ट की प्रति देकर सुनवाई का पूरा अवसर दिया गया। 


अतिरिक्त मुख्य सचिव ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा प्रस्तुत किए गए जवाब संतोषप्रद नहीं पाए गए। इसके अतिरिक्त एसओजी की जांच रिपोर्ट में विश्वविद्यालय द्वारा की गई गंभीर अनियमितताओं को दृष्टिगत रखते हुये छात्र हित में राज्य सरकार ने ओपीजेएस विश्वविद्यालय, चुरू के समस्त पाठ्‌यक्रमों में नवीन प्रवेश परतत्काल प्रभाव से रोक लगाई है। 


उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय द्वारा प्रस्तुत किए गए जवाब में परीक्षणोपरांत पाया गया कि ओपीजेएस विश्वविद्यालय के चेयरमैन, प्रेसिडेंट, रजिस्ट्रार आदि के पदों पर कार्यरत व्यक्तियों का कार्यकाल बढ़ाने संबंधी दस्तावेज संलग्न नहीं होने, विश्वविद्यालय में नियुक्त प्रो वाईस चांसलर, रिसर्च डायरेक्टर, सहायक / सह-आचार्य के पदों पर नियुक्त व्यक्तियों के नियुक्ति पत्रों परअधिकृत व्यक्ति के हस्ताक्षर नहीं होने, डी फार्मा कोर्स के संबंध में 2021-22 के बाद की स्थिति का स्पष्ट विवरण नहीं होने, विश्वविद्यालय के स्टेट्‌यूस एवं ऑर्डिनेंस के अनुमोदन की स्थिति स्पष्ट नहीं करने, बार कौंसिल ऑफ़ इंडिया, नई दिल्ली से वर्ष सत्र 2022-2023 के बाद विधि पाठ्‌यक्रमों में बीसीआई से जारी की गई मान्यता से संबंधित कोई दस्तावेज संलग्न नहीं होने, वार्षिक रिपोर्ट एवं लेखे पर अधिकृत व्यक्ति के हस्ताक्षर नहीं थे। 

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